कभी खो भी जाऊँ तो
मिल जाऊँगा थोड़ा-थोड़ा करके
किसी की यादों में
किसी पुराने अखबार की कतरन में
किसी के ई मेल या मोबाइल पर
किसी तस्वीर में
किसी के किस्सों में
तब वहाँ से मुझे उठाकर
तुम मिट्टी में दबा देना
कुछ दिन बाद
धूप और पानी खाकर
मैं फिर से
साबुत बाहर आऊँगा
फिर मैं तुम्हें ढूँढ लूँगा
जैसे तुमने मुझे ढूँढा था
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